अष्टकवर्ग

🌹🌹*।।श्री राधे ।।*🌹🌹

  *अष्टकवर्ग  फलित करने की सबसे सरल विधि* *भाग 1*

जन्म कुंडली का सरल तरीके से आकलन करने का सबसे सरल तरीका है अष्टकवर्ग !
इससे काफी हदतक फलित का सही सही अनुमान लगाया जाता है 

जैसा की आज हम लेख में जानने वाले है जातक के जीवन का श्रेष्ठ समय कब होंगा और जातक धनी होंगा या निर्धन ! ये सिर्फ थोडेसे गणित से प्राप्त हो जातें है बिना किसी ताम झाम या कंफ्यूजन के 
और मुझे ये इसलिए भी अच्छा लगता है कि इसमें सीधा "हा" या "ना" में जवाब प्राप्त होता है 

अधिकतर लोग ज्योतिषियों से पूछते है को जीवन में अच्छा समय कब आएगा इसकी सबसे सरल विधि है 
जीवन का श्रेष्ठ समय जानने के लिए जन्म कुंडली को तीन भागो में बाट ले ।
पहले भाग में लग्न, चथुुर्त , सप्तम, दशम, अर्थात चारो केंद्र भाव सम्मिलित करे और इनकी रेखावो को जोड़ ले 

दूसरे भाग में  द्वितीय, पंचम, अष्टम, और एकादश, भाव के रेखावो को जोड़ ले 

इसी प्रकार तीसरे भाव मे जन्म कुंडली तृतीय , षष्ट, नवम , और द्वादश , भाव के रेखावो को जोड़ ले   इन तीनो भागो में प्रथम भाग यानी पूर्वार्ध, द्वितीय भाग यानी माध्यर्थ, और तृतीय भाग यानी उत्तरार्ध हुआ ।

उपरोक्त किये तीनो भागो में जिसमे रेखाओ की संख्या अधिक होंगी जीवन के उस कार्यकाल में जातक को सुख की प्राप्ति आती है और वो समय अच्छा बीतता है 

इसी प्रकार जातक के धन के विषय मे विचार किया जाता है 
सर्वाष्टक वर्ग के काम त्रिकोण की रेखावो को जोड़ ले  तथा  मोक्ष त्रिकोण की रेखावो को भी जोड़ ले 
यदि काम त्रिकोण की संख्या ज्यादा हो तो जातक धनी होता उससे जीवन सर्व उपभोग प्राप्त होते है 
और यदि मोक्ष त्रिकोणं की संख्या ज्यादा होतो तो जातक ऋणी होता है उसके पास धन नही ठहरता उसकी आय  से अधिक उसके व्यय होते है तथा जातक दुसरो पर आश्रित होता है 

सामान्य रूप से कहे तो जातक की जन्म कुडली में यदि नवम, दशम, और एकादश भाव की संख्या 30 से अधिक है तो जातक जीवन पर्यंत उच्च स्तर का जीवन जीता है धनंसमृद्ध होता है व्यवसाय तथा ऐश्वर्य उपभोग के मामले में शुभ फल प्राप्त होते है और यदि इसकी संख्या 30 से कम है तो जातक गरीबी में जीवन जीता है बीमारी होती है तथा हमेशा परेशानियों से घिरा रहता है


इसी प्रकार जातक के जीवन से संभंधित माता पिता, व्यवसाय, नौकरी, दम्पत्ति, आदि का विचार किया जा सकता है 

नोट : उपरोक्त फलित दिखने का तरीका सबसे सामान्य तरीका है इसके अलावा भी विद्वान अपनी सूझबूझ से फलित और विषय ड़ाल सकते है और फलित को और भी अच्छा बना सकते है 

     अगले भाव मे जारी....... 

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