तुलसी मंजरी से पूजा की महिमा/tulsi के बीजों का महत्व

तुलसी मंजरी से पूजा की महिमा:-

*तुलसी को हमारे धर्म शास्त्रों में एक उच्च स्थान प्राप्त है तुलसी को केशव प्रिया भी कहा गया है तुलसी के साथ-साथ तुलसी की मंजरी से पूजा की भी विशिष्टता है,शास्त्रों में बताया गया है कि*

*“तुलसी-मंजरीभिर्यः कुर्यात् हरिहरार्चनम् , न स गर्भगृहं याति मुक्तिभागी न संशयः।”*

*अर्थात् तुलसी की मंजरी से जो हरि अर्थात भगवान विष्णु और शिव की पूजा करता है उसको गर्भ में वास नहीं करना पड़ता अर्थात् वह जीव जन्म-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।*

*ब्रह्माण्ड पुराण में कहा गया है कि तुलसी पर लगी सूखी मंजरियों को हटा देना चाहिए। क्योंकि सूखी मंजरियों के होने से तुलसी दुखी रहती हैं। मंजरी रहित होने पर तुलसी के पौधे का विकास होता है।*

*यदि आपके घर में तुलसी में मंजरी ज्यादा है तो आपको उसे हटा दूसरी तुलसी लगा देना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार अधिक मंजरी वाल तुलसी कष्ट में होती है। तुलसी को कष्ट में नही रखना चाहिए। बस यही वजह है कि आपको अपने घर में ज्यादा मंजरी वाली तुलसी नहीं रखनी चाहिए।*

*यदि तुलसी-दल को तोड़ें तो उसकी मंजरी और पास के पत्ते तोड़ने चाहिए जिससे पौधे की बढ़ोतरी अधिक हो । मंजरी तोड़ने से पौधा खूब बढ़ता है ।*

*तुलसी ग्रहण करने का निषिद्ध काल:-*

*तुलसी पत्र को ग्रहण करने का निषिद्ध काल अर्थात् तुलसी को एकादशी , संक्रान्ति,द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा ,रविवार और सन्ध्या काल के समय तोडना निषिद्ध है,*

*यदि विशेष आवश्यकता है तो इस मन्त्र के जप के साथ तुलसी पत्र तोड़े-*

*“त्वदङ्गसंभवेन त्वां पूजयामि यथा हरिम् ,तथा नाशय विघ्नं मे ततो यान्ति परां गतिम्।”*

*इस मन्त्र के जप के साथ विशेष आवश्यकता होने पर हीं निषिद्ध काल में तुलसी पत्र को तोडना चाहिये।*

*श्रीमद्भागवत में तुलसी वर्षा के समय तुलसी की मंजरी का उपयोग किया जाता है। ब्राह्मण पुराण में भी तुलसी की मंजरी के बारे में वर्णन किया गया है कि तुलसी की मंजरी में माता सीता का वास होता है।*

*जिस तरह हिंदू पूजा में तुलसी के पत्तों का उपयोग किया जाता है, उसी तरह तुलसी की मंजरी का उपयोग करना अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। तुलसी की मंजरी गणपति और भोलेनाथ की पूजा में काम नहीं आता है, बाकी सभी पूजा में तुलसी की मंजरी का उपयोग किया जाता है। श्री कृष्ण की पूजा में तुलसी की मंजरी का उपयोग किया जाता है, पूजा के समय तुलसी की मंजरी के द्वारा जल से देवी देवताओं को नहलाना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से सुख समृद्धि की वर्षा होती है, साथ ही जिस मनोकामना से पूजा की जाती है, उसमें सफलता प्राप्त होती है।*

श्री तुलसी नामाष्टक || Shri Tulsi Namashtakam

*वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |*
*पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ||*
*एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |*
*य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ  फलं लभेत ||*


*तुलसी गायत्री मंत्र*

ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। 
विष्णु प्रियायै धीमहि। 
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।। 
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