कुण्डली में वाणी दोष
कभी-कभी आपकी कुण्डली में वाणी दोष होता है जिस कारण आप गूंगे हो सकते हैं या बोल नहीं पाते हैं! वाणी दोष होने पर आप अपनी अभिव्यक्ति नहीं कर पाते हैं। विचारों की अभिव्यक्ति वाणी द्वारा ही होती है। मधुरभाषी सदैव सबको प्रिय होता है! नाम के बाद वाणी ही उसकी पहचान बनाती है। वाणी दोष हो तो जीवन में एक अभाव सा रहता है, जीवन में एक प्रकार से कुछ खो सा जाता है जो सदेव सालता रहता है। यह दोष व्यक्ति में पूर्व जन्मों के कर्मों के कारण ही होता है।
दूसरा भाव वाणी का प्रतिनिधत्व करता है और बुध ग्रह वाणी का कारक कहलाता है। दूसरा भाव, दूसरे भाव का स्वामी एवं वाणी कारक ग्रह बुध यदि पाप ग्रह से युत, दृष्ट या अशुभ भाव में स्थित हो तो वाणी दोष होता है। वाणी दोष जांचने के कुछ ज्योतिष योग इस प्रकार हैं-
1. दूसरे भाव से त्रिक भाव में वाणी कारक बुध स्थित हो तो यह योग होता है। अथवा द्वितीयेश त्रिक भावों में हो तो वाणी दोष होता है। यहां त्रिक भावों की गिनती द्वितीय भाव से होगी।
2. चन्द्र लग्न या लग्न से त्रिक भाव में द्वितीयेश या वाणी कारक बुध स्थिति हो और पापग्रह से युत या दृष्ट हो और किसी प्रकार की शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक गूंगा होता है।
3. द्वितीयेश बुध व गुरु के साथ अष्टम भाव में हो तो जातक गूंगा होता है।
4. दूसरे भाव में नीच ग्रह स्थित हो और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो वाणी दोष होता है।
5. दूसरे भाव में सूर्य, चन्द्र, राहु व पापयुत शुक्र की युति हो तो वाणी दोष होता है।
6. शनि-चन्द्र की युति दूसरे भाव में हो और उस पर सूर्य व मंगल की दृष्टि पड़े तो वाणी दोष होता है।
7. छठे भाव का स्वामी या बुध चौथे, आठवें या बारहवें स्थित हो और पापग्रह से दृष्ट हो तो वाणी दोष होता है या गूंगा होता है।
8. कर्क, वृश्चिक व मीन राशि में गए हुए बुध को अमावस का चन्द्र देखे तो जातक गूंगा होता है या वाणी में दोष होता है
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