पंचम भाव एवम् शनि
अगर पंचम भाव में शनि है खास कर नीच या शत्रु राशि मै,
तो गलत कार्य बिल्कुल भी ना करे, छुपकर या किसी को अंधकार में रख कर या किसी से छुपाकर कार्य ना करे क्योंकि शनि स्वयं अंधकार है, शनि आपका कच्चा चिठ्ठा सबके सामने किसी ना किसी माध्यम से खोल ही देते है।
पंचम भाव है फेम का की दुनिया को आप क्या दिखाना चाहते है, और जो आप नहीं दिखाना चाहते है वो शनि वहा पर विराज मान होकर या उस भाव पर दृष्टि डाल कर सबके सामने आपके कारनामे उजागर कर देते है
पंचम भाव प्रेम प्रशंग का स्पोर्ट्स लाइन का शिक्षा और संतान का भी है
पंचम भाव आपके जीवन साथी के बड़े भाई बहन, और आय का भी है। क्योंकि पंचम भाव सप्तम से एकादश है।।
शनि न्यायाधीश भी है, कालपुरूष की कुंडली में शनि कर्म भी करवाते है और कर्म के अनुसार फल भी देते है।क्योंकि शनि कर्म और आय दोनों के स्वामी होते है और दोनों ही शनि के कार्य छेत्र में आते है जैसा और जितना कर्म करोगे वैसा और उतना ही फल अपको प्राप्त होगा
वैसे कुंडली मै शनि कहिभी हो किसी भी स्थिति में हो गलत कार्यों से हमेशा बचकर ही रहना चाहिए । क्योंकि शनि को ग़लत कुछ भी पसंद नहीं। कार्य या कर्म गलत हो तो उच्च का शनि भी शुभ फल नहीं देता।
सम्पूर्ण कुंडली का विश्लेषण
विवाह बाधा
नोकरी/ वयवसाय
सफलता असफलता
भाग्योदय
भाग्य रत्न जीवन रत्न
मांगलिक योग परिहार
शिक्षा सफलता
सभी की जानकारी दी जायेगी सरलतम उपायो के साथ
ज्योतिषी आचार्य श्वेता ओबेरॉय
समपर्क सूत्र 8527754150
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