जहाँ अभाव का अनुभव होता है, वहाँ उसकी पूर्ति की इच्छा होती है। उसके लिये चेष्ठा होती है उसके लिए हम प्रयत्न करते हैं और उसकी पूर्ति के साथ साथ नये अभावों की सृष्टि हो जाती है।
अभाव की ही पूर्ति करते करते अनमोल मनुष्य जीवन समाप्त हो जाता है। जिस जीवन में परम् दुर्लभ भगवान मिल सकते थे, वह अभावों की ही पूर्ति करने में बीत जाता हैं। फिर भी अभाव बने ही रहते हैं।
इसके लिए अनुभव करें कि हमारे जीवन भगवान की कमी है तो फिर भगवान को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील होंगे। यह मानव देह उन्हीं को प्राप्त करने के लिए मिली है। अतः मन, वचन और कर्म से भगवान का ही भजन करें।
श्वेता ओबेरॉय दीदी
8527754150
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