फरवरी महीने के दौरान ग्रह गोचर और प्रभाव

फरवरी महीने के दौरान ग्रह गोचर और प्रभाव

शनि ग्रह उदय : भले ही शनि ग्रह 23 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश किये हैं लेकिन अभी तक सूर्य के प्रभाव से अस्त चल रहे हैं , जो कि 2 फरवरी को उदय होंगे और मकर राशि में रहते हुए अपना प्रभाव दिखाएंगे । शनि की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि पर है और शनि की ढैय्या मिथुन और तुला राशि वालो पर है । शनि ग्रह का गोचर लग्न राशि से 3, 6, 10, 11वे भाव में शूभता देता है , जबकि लग्न राशि से 4, 8, 12वे भाव में शनि का गोचर कष्टकारी होता है । बाकी भावो में शनि का यह गोचर सामान्य फल देगा । जिनका देव लग्न ( मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, धनु और मीन ) है वह शनि की शूभता के लिए शनिवार के दिन शनि से संबंधित चीज़े ( काला वस्त्र, सरसो का तेल, उड़द की दाल, लोहा , चमड़ा ) का दान गरीब ज़रूरतमंद को करें , जबकि दैत्य लग्न ( वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ ) वाले यही सब चीजें मंदिर में दें । 

बुध ग्रह वक्री : 31 जनवरी से बुध ग्रह का गोचर कुंभ राशि में है जो कि 7 अप्रैल तक रहेगा । इसी दौरान 17 फरवरी से 10 मार्च के दरमियान बुध ग्रह वक्री रहेंगे । और 20 फरवरी से 6 मार्च के दरमियान बुध ग्रह अस्त रहेंगे । कुंभ राशि शनि की राशि है , शनि की राशि में बुध निष्फल होता है । इस लिए जन्म कुण्डली में बुध ग्रह अपनी राशि से संबंधित फल देने में असमर्थ होंगे । जबकि 17 फरवरी से 10 मार्च के दरमियान बुध के वक्री रहने से वित्तिय मामलों में समस्या होगी , खुद से लिये गए फैसलों में गलती होने से नुकसान होगा , मित्रो की वजह से समस्या होगी । इस लिए कोई भी महत्वपूर्ण कार्य हो वह या तो 17 फरवरी से पहले करें या फिर 10 मार्च के बाद करें । जन्म कुण्डली के 1, 2, 3, 5, 6, 7, 9वे भाव में शूभता देता है । जबकि 4, 8, 10, 11, 12वे भाव में बुध ग्रह अशुभता देता है । 

शुक्र_ग्रह_मीन_राशि_में : 3 फरवरी से 29 फरवरी के दरमियान शुक्र ग्रह का गोचर मीन राशि में होगा । मीन राशि शुक्र के लिए उच्च राशि है । उच्च राशि में विराजमान ग्रह शूभता देते हैं । शुक्र के उच्च राशि में आने से कारक विषय जैसे कि प्रेम संबंध अच्छे होंगे, व्यवसायक साँझीदारी में लाभ होगा, जो लोग वस्त्र, डिजाइनिंग, टेक्सटाइल , पार्लर जैसे विषयों से जुड़े हैं उनके लिए यह समय अच्छा लाभ देने वाला रहेगा । जन्म कुण्डली में जिन भी भावो का स्वामी ग्रह शुक्र होगा उन से संबंधित शुभ फल की प्राप्ति होगी । जन्म कुण्डली के 2, 4, 7, 8, 11, 12वे भाव में शुक्र शूभता देता है । 

मंगल_ग्रह_राशि_परिवर्तन : 8 फरवरी से 22 मार्च के दरमियान मंगल ग्रह का गोचर धनु राशि में रहेगा । वर्तमान समय में वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे मंगल ग्रह 8 फरवरी को धनु राशि में आएंगे, धनु राशि मंगल के लिए मित्र राशि है , मित्र राशि में विराजमान ग्रह शूभता देते हैं । जन्म कुण्डली के 3, 6, 10, 11वे भाव में मंगल ग्रह शुभता देता है । जबकि 2, 4, 7, 8, 12वे भाव में मंगल का गोचर कष्टकारी होता है , बाकी भावो में मंगल का गोचर सामान्य फल देता है । मंगल ग्रह की शूभता के लिए पके हुए भोजन का दान मंगलवार के दिन अस्पताल में करें । 

सूर्य_ग्रह_राशि_परिवर्तन : 13 फरवरी से 14 मार्च के दरमियान सूर्य ग्रह का गोचर कुंभ राशि में रहेगा । कुंभ राशि शनि की राशि है , शनि की राशि में कोई भी ग्रह निष्फल होता है । इस लिए यहां गोचर के दौरान सूर्य अपने कारक विषयो और भाव से संबंधित शुभ फल देने में असमर्थ रहेगा । जन्म कुण्डली के 2, 4, 7, 8, 12वे भाव में सूर्य ग्रह कष्टकारी होता है , जबकि 3, 6, 10, 11वे भाव शूभता देता है और बाकी भावो में सामान्य फल देता है । चतुर्थ भाव में सूर्य का गोचर रोग , अष्टम भाव में सूर्य का गोचर झगड़ा और अवसाद , 12वे भाव में सूर्य का गोचर मानहानि देता है । सूर्य की शूभता के लिए रविवार के दिन संतरे का दान गरीब ज़रूरतमंद को करें । 

पूर्णिमा_तिथि : 9 फरवरी दिन रविवार को माघ महीने की पूर्णिमा तिथि रहेगी । माघ पूर्णिमा पर किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है।  पंचांग के मुताबिक ग्यारहवें महीने यानी माघ में स्नान, दान, धर्म-कर्म का विशेष महत्व है। जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। इस योग को पुण्य योग भी कहा जाता है। इस दिन स्नान के करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन भैरव जयंती भी मनाई जाती है। पूरे महीने स्नान-दान नहीं करने की स्थिति में केवल माघी पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान किया जाए तो संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल मिलता है। माघ स्नान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। माघ में हेमंत ऋतु खत्म होने की ओर रहती है तथा इसके साथ ही शिशिर ऋतु की शुरुआत होती है। ऋतु के बदलाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर नहीं पड़े इसलिए प्रतिदिन सुबह स्नान करने से शरीर को मजबूती मिलती है।

अमावस्या_तिथि : 23 फरवरी दिन रविवार को फाल्गुन महीने की अमावस्या तिथि रहेगी । इस दिन का भारतीय जनजीवन में अत्यधिक महत्व हैं। इस दिन नदी स्नान और तीर्थक्षेत्र में स्नान-दान का विशेष महत्व है। इस दिन समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए कुछ खास उपाय किए जाते हैं। अक्सर यह भी कहा जाता है कि पितृ दोष के लिए अमावस्या पर पूजा करने का विशेष महत्व है। 

विशेष अचूक उपाय:-
*  हर अमावस्या पर दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। पितृस्तोत्र या पितृसूक्त का पाठ करना चाहिए।
*  अपने पितरों का ध्यान करते हुए प्रत्येक अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।
* हर संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए 3 बार अर्घ्य दें।
* पितृ दोष में कमी , शुभ फलों की प्राप्ति के लिए हर त्रयोदशी को नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करना, पंचमी तिथि को सर्पसूक्त पाठ, पूर्णमासी के दिन श्रीनारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई और दक्षिणा सहित भोजन कराना चाहिए।
* शिवालय में जाकर भगवान शिव का इस दिन कच्चे दूध, दही से अभिषेक कर उन्हें काले तिले अर्पित करने का विशेष महत्व है।
* आपने सारे कष्ट दूर करने और जीवन में सबकुछ शुभ घटित होने के लिए इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के मंदिर पीले रंग की ध्वजा अर्पित करना चाहिए।

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उपाय काम क्यू नही करते।
क्यों की करने वाला इसे अलग अलग समय करता
बीच में एक आधे दिन का गैप भी हो जाता है
जो उपाय दिए होते है उनमें से सभी पूरे नहीं करता
उपाय केसे करे
लगातार कम से कम 2 महीने
एक निश्चित समय पर
सभी उपाय करने पर
जब आप उपाय करते है तो नेगेटिविटी देने वाले ग्रह व्यवधान उत्तपन कर सकते है लेकिन फिर भी आप को उपाय पूरे करने है
फायदा या नुकसान होने पर अपने मार्गदर्शक को सूचित करे
भटकने की आदत का त्याग करे किसी एक पर पूर्ण विश्वास और श्रद्धा रखे
ज्योतिष कोई चमत्कार नहीं है केवल रास्ता सही रास्ता दिखाने का कार्य करता है
आपका फायदा आपकी श्रद्धा विश्वास और भाव पर होता है बाकी फल देने वाला परमात्मा ही ही है हम केवल माध्यम है 

आचार्य
श्वेता ओबेरॉय दीदी
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