मनन

जिन पक्षियों को बचपन से ही पिंजरे में बॉध कर रखा जाता है वो बड़े होने के पशचात पिंजरा खुलने पर भी उड़ नही पाते उस पिंजरे के आस पास ही भटकते रहे जाते है!
       
ठीक ऐसा ही पालतू पशुओं के साथ भी होता है । कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है  क्यो ये अपने बंधन खुलने के पशचात भी भागते नही उड़ते नही हमारे आस पास ही रहते है क्योंकि सबसे बड़ी परतन्त्रता दासता मानसिक होती है।
      
यदि व्यक्ति मन से किसी का दास हो जाए तो बंधन खुलने के पशचात भी स्वतंत्र रहने का प्रयास नही करता इसलिए कोई व्यक्ति हो या सोच ,सुख सुविधा का साधन हो या स्थान किसी पर भी इतने आश्रित मत हो जाइए की मन गति करना भूल जाए।
    
मन के द्वार खुले रखिए क्योकि अगर मन स्वतन्त्र हुआ तो कोई भी आपको परतन्त्र नही रख सकता।

     
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