केमद्रुम योग

केमद्रुम योग


यदि चंद्रमा से द्वितीय और द्वादश दोनों स्थानों में कोई ग्रह नही हो तो केमद्रुम नामक योग बनता है या चंद्र किसी ग्रह से युति में न हो या चंद्र को कोई शुभ ग्रह न देखता हो तो कुण्डली में केमद्रुम योग बनता है I
केमद्रुम योग के संदर्भ में छाया ग्रह राहु केतु की गणना नहीं की जाती है I इस योग में उत्पन्न हुआ व्यक्ति जीवन में कभी न कभी दरिद्रता एवं संघर्ष से ग्रस्त होता है I 
यह भी कहा जाता हैकि केमदुम योग वाला व्यक्ति वैवाहिक जीवन और संतान पक्ष का उचित सुख नहीं प्राप्त कर पाता है I वह सामान्यत: घर से दूर  रहता हैI
परिजनों को सुखदेने में प्रयास रत रहता है I
व्यर्थ बात करने वाला होता है I
कभी कभी उसके स्वभाव में नीचता का भाव भी देखा जा सकता है I


ज्योतिषी अचार्य श्वेता ओबेरॉय

संपर्क सूत्र 8527754150

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