शुक्र रेखा

शुक्र रेखा


. अंगूठे की जड़ में शुक्र पर्वत के ऊपर अनेक रेखाएं पाई जाती है जो वहां से जीवन रेखा की ओर आती है इसमें से अनेक सूक्ष्म एवं टूटी-फूटी होती है इन रेखाओं का तात्पर्य केवल इतना है कि उसमें प्रणय संबंधी  भावों की अनेक लहरें चल रही है*

*1. वास्तविक के शुक्र रेखाएं होती हैं जो यहां मोटी गहरी या लंबी होती है यह एक से अधिक संख्याओं में भी हो सकती हैं*

*✍️. इस रेखा का अर्थ निवास स्थान के परिवर्तन  नौकरी जीविकोपार्जन के क्षेत्र में परिवर्तन आदि से संबंधित होता है यह रेखाएं निश्चित आय के साधनों की ओर भी संकेत करती है इन रेखाओं का तात्पर्य*👉👉

*✍️1. शुक्र रेखा दोषपूर्ण न हो कर निर्दोष एवं लंबी हो तो साझेदारी में लंबे समय तक कार्य चलता है*

*2. शुक्र से कोई रेखा आकर भाग्य रेखा को छूती हो तो व्यक्ति का प्रेम संबंध यह साझेदारी का व्यापार होता है यदि यह रेखा मुड़कर भाग्य रेखा के साथ जाती हो तो ऐसे संबंध लंबे समय तक चलते हैं और कारोबार में भी उन्नति होती है*

*3. शुक्र रेखा भाग्य रेखा पर मिलकर यदि भाग्य रेखा में कोई दोष उत्पन्न नहीं करती भाग्य रेखा आगे चलकर दोषपूर्ण नहीं है तो भी साझा यह संबंध लंबे समय तक चलते हैं उन्नति होती है यदि शुक्र रेखा भाग्य रेखा को काट देती है तो प्रेम संबंधों यह साझेदारी में रुकावट होती है*

*4. अंगूठे के नीचे त्रिकोण कौन होने पर यदि एक रेखा उस से निकलकर भाग्य रेखा से मिलती हो तो प्रेम संबंध या पति पत्नी मैं अचल धन लाभ होता है*

*5. शुक्र की रेखाएं अक्सर अपूर्ण स्थिति की होती है यह प्रेम धन व्यक्तित्व आदि किसी भी विषय से संबंधित हो सकती है किंतु इनका फल बताने के समय गंभीरता से सभी लक्षणों का निरीक्षण कर लेना चाहिए*

ज्योतिषी अचार्य
श्वेता ओबेरॉय दीदी
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